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सोचा था
सोचा था दूर जा के भुला दूंगी तुम्हे
पर शायद तुझे ही ये मंजूर नहीं ।।
सोचा शायद मिट सको हमारी यादों से
पर तुझे और तेरी चाहत को
ये भी मंजूर नहीं ।।
अब तू ही बता ना क्या करू
मेरी इन आदत को मिटाने के लिए।।
तू ही बता क्या करूं
मेरी ये चाहत छुपाने के लिए।।
तुझे खोने का मलाल तो है
खुद को कितना भी समझाऊं सवाल तो है ।।
तू ही बता क्या करूं
मेरे आखों से तेरा ख्वाब मिटाने के लिए ।।
© Namrata Mahato
पर शायद तुझे ही ये मंजूर नहीं ।।
सोचा शायद मिट सको हमारी यादों से
पर तुझे और तेरी चाहत को
ये भी मंजूर नहीं ।।
अब तू ही बता ना क्या करू
मेरी इन आदत को मिटाने के लिए।।
तू ही बता क्या करूं
मेरी ये चाहत छुपाने के लिए।।
तुझे खोने का मलाल तो है
खुद को कितना भी समझाऊं सवाल तो है ।।
तू ही बता क्या करूं
मेरे आखों से तेरा ख्वाब मिटाने के लिए ।।
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