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स्त्री दायित्व
करके स्वयं को स्त्री के दायित्व से मुक्त
क्या वे मुक्त हो चुके माताओं से बहनों
से, क्या अन्य स्त्रियां मां समान नही है
क्या उनकी बहन ही बहन है औरों की
नहीं,यूं मूकदर्शक बने रहना,या आंखो
ने त्यागा हैं लज़्ज़ा,कानों को सुनाई ना
दे रही है वो वेदना जो गूंज रहीं है कहीं
हाथों में शासन है फिर भी क्यों है हारी
पत्रकार को देखो जैसे नर्तक बने हैं,हो
रहे दुराचार दिन दहाड़े,जनता को क्या
उनकी मां, बहन तो नहीं थी, उन्हे क्या
इसलिए तो सब मूकदर्शक बने हैं,वे तो
कल भुला दिए जायेंगे जो लाश बने है।
#Love&love #lifelesson #Women
© Anvit Kumar
क्या वे मुक्त हो चुके माताओं से बहनों
से, क्या अन्य स्त्रियां मां समान नही है
क्या उनकी बहन ही बहन है औरों की
नहीं,यूं मूकदर्शक बने रहना,या आंखो
ने त्यागा हैं लज़्ज़ा,कानों को सुनाई ना
दे रही है वो वेदना जो गूंज रहीं है कहीं
हाथों में शासन है फिर भी क्यों है हारी
पत्रकार को देखो जैसे नर्तक बने हैं,हो
रहे दुराचार दिन दहाड़े,जनता को क्या
उनकी मां, बहन तो नहीं थी, उन्हे क्या
इसलिए तो सब मूकदर्शक बने हैं,वे तो
कल भुला दिए जायेंगे जो लाश बने है।
#Love&love #lifelesson #Women
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