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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में स्वपनिका का भयानक अंत।।
लेखक नायक को फांसी दिलवाकर,
उसने एक बहुत बड़ी सीख दी,
मगर वह एक दायित्व के चलते अपनी आहुति देकर वह गाथा में नायक का स्वयं अंत कर उसके अपना बिल त्याग कर देती है किंतु वो नायक मुक्त ना होकर स्वताह एक योनि से अलग अलग योनि में प्रवेश करने के बाद भृमण करने लग जाता है किंतु वह नायिका अपने अस्तित्व से कर्म पूर्ण कर अंत में अपने अस्तित्व को ही सीधार जाती है, वो दर दर भटक कर भी मृत्यु को प्राप्त जाती है, और फिर अंत में फिर उसे उस मंदिर में उसके अस्तित्व संग उसकी स्मारक किन्नर में रखवाई जाती है, जिसके बाद उस मंदिर की मान्यता यह हो जाती है कि जो श्रीकृष्ण संग उसके किन्नर रूप के दर्शन कर और उसके समस्त नामों का जप करेगा उसकी सारी मनोकामनाएं एवं मान्यताएं पूरी होंगी क्योंकि अन्त में वो नायिका अपने अस्तित्व से लड़कर अपने अस्तित्व को हराकर अपने अस्तित्व को ही प्राप्त हो जाती है ।।
संभव #लय
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