...

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शिवप्रिया
कहो मेरी
#संगिनी बनोगी क्या ?

हाथ थामे रहोगी ,,
संकरे से रस्ते पर भी,
कुछेक हादसों पर भी,
वो दूर दिखती मंजिल तक भी,

कठिनाई में चलना जानता हूं मैं और मुश्किलों से लडना भी पर कभी डगमगा जाते हैं कदम मेरे भटक जाता हूं चलते चलते कहो हमराही बनोगी मेरी ?

दिखाओगी राह अंधेरी रातों में भी खुद को संभालना सीखा है बचपन से मैंने और भावनाओं को अंतर्मन में छुपाना भी कहो दर्पण बनोगी मेरी ?

कैद करोगी अपनी आंखों में ये हाल-ए-दिल मेरा भी और कर दोगी मुझे रिहा इन घुटन भरे लम्हों से,

है भरोसा उस ईश्वर पर भी मुझे लेकिन कठिनाइयों में डोलने लगता है यह अथाह विश्वास भी कि कहो आस्था बनोगी मेरी ?

अटल रखोगी विश्वास मेरा सबसे विकट स्थिति में भी कि शायद मैं पत्थर हो रहा हूं,
इस हुजूम के साथ
चलते चलते ,,
मैं भी जैसे भीड हो रहा हूं,
कहो बनोगी तुम भीड से अलग वो अनोखी सी पहचान मेरी ?

यूँ तो परेशानियों को उलझाता सुलझाता रहता हूं मैं अक्सर,
पर?
डर लगता है कभी कभी खुद के साये से भी मुझे, कहो क्या मेरी रूह में उतर कर जरा सुकून दे पाओगी मुझे ?

या क्या तुम बन जाओगी हमनशीं मेरी ?
दसों ऐब हैं मेरे भीतर,
ना तुम्हारा होने की खातिर मैंने तप किया है #शिव_सा,
पर तुम्हारा साथ इंसान बनाता है मुझे
मेरे निरर्थक जीवन को अर्थ देती हो तुम निश्चय ही ,
#मै_शिव नहीं,
केवल एक
#निरीह_मनुष्य हूं,
पर,,!
कहो क्या मेरी
#शिवप्रिया बनोगी तुम ?


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