...

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जौहर
आँखो ने देखा संग पिया के,
सपना एक सुहाना!
जा तो रहे सीमाओं पर,
जल्दी से वापस आना।

कुछ ख्वाब हमारे,
रह-रह के पुकारे;
सुखा आंखों का पानी!
जद्दोजहद में मर ना जाए दो-दो जिंदगानी।

करके सोलह श्रृंगार मैं,
रस्ता तेरा निहारू;
या यूं ही याद में तेरे,
लम्हा अपना गुजारू!

चाँद ये करवा चौथ का,
बिन तेरे देख ना पाऊं;
बन के मैं वैरागी तेरी,
विरह में खुद को जलाऊं।

राष्ट्रभूमि के गौरव का,
तुमने है मान बढ़ाया,
खुशकिस्मत है ये जौहर मेरा;
जो देश के काम है आया।
© insinuation_pen✒️