...

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ज़ख़्मी शेर
मैं नहीं रोया, मेरे दिल ने रुलाया
वो वेवफा थी,जिसे अपना बनाया
कौन जाने ज़हर किसके हिस्से आए
हर कतरा उसने ,पहले हमें ही खिलाया