ज़ख़्मी शेर
मैं नहीं रोया, मेरे दिल ने रुलाया
वो वेवफा थी,जिसे अपना बनाया
कौन जाने ज़हर किसके हिस्से आए
हर कतरा उसने ,पहले हमें ही खिलाया
वो वेवफा थी,जिसे अपना बनाया
कौन जाने ज़हर किसके हिस्से आए
हर कतरा उसने ,पहले हमें ही खिलाया