...

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लोग क्या सोचेंगे
दुनियादारी में हम यूं उलझते जा रहे हैं
अपनो की बातें जहर,
और दुसरो की बातें शहद समझते जा रहे हम !!
न समझ समझकर यूं उलझा रहे है
जैसे वो ही है समझदार,
उनके आगे बेवकूफ बनते जा रहे हम !!
लोग क्या सोचेंगे....
बस यही बात सोचते जा रहे हम !!
अपने दिल की बात कहां सुनते जा रहे हम !!

लोगो की बातें यूं सुनते जा रहे हैं हम !!
जैसे वो जिस्म हो हमारा,
और सामने बैठ उसे ताक रहे हैं हम !!
खुद में ही खुद से उलझते जा रहे हैं हम
लाख समझाओ फिर भी बहकते जा रहे हम !!
लोग क्या सोचेंगे....
बस यही बात सोचते जा रहे हम !!
अपने दिल की बात कहां सुनते जा रहे हम !!
© Namrata Mahato