...

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एहसास 😊
उस रास्ते पर ऐसी भी क्या चलने की जिद थी कि खुद को सम्भालना तक भूल गए,
व एहसास भी अजीब था कि निकलना तक भूल गए,
किसकी गलती थी उन दो परिंदों में,
नज़रें मिली तो नज़रें झुकाना तक भूल गए,
ख्वाहिशें तो बहुत बड़ी थी उन दोनों की,
पर, फर फडाना तक भूल गए,
सारे चीजों से परे था उनका आसियाना ,
पर चिराग जलाना तक भूल गए,
मन्नत तो थी उसे रौशन करने की,
पर आग का डर की उसे जलाना तक भूल गए,
अब तो लगता है कि उसके बगैर हम जीना तक भूल गए।। 😅

अपराजिता पाठक ☺️