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कुछ नहीं बहुत कुछ छिपा है
क्यों उन्हें सिर्फ सहना सिखाया जाता है
क्यों नहीं कुछ कहना नहीं सिखाया जाता
क्यों उन्हें सिर्फ झुकना सिखाया जाता है
क्यों उन्हें अधिकारों के लिए लड़ना नहीं सिखाया जाता
क्यों इस कदर पराया कर दिया जाता है
कि वो हा वो हमारी अपनी बेटियां हमारा पता मालूम होते हुए भी हमें खत नहीं लिख पाती
अपनी सच्चाई भाग्य की विडंबना, दुर्भाग्य नहीं लिख पाती
कभी दहेज़ के लिए ताने, मारपीट सहती रहती हैं
ससुराल में कांटो में नौकरी भी वेतन ही करती रहती हैं
कभी किसी से कुछ कहती नहीं न जाने क्या-क्या सहती हैं
जब जब अपने हाल पूछेंगे मैं खुश हूं कह कर टाल दिया करती हैं
गलती से रोना जो आ जाए मुंह में हाथ रख ताला सा डाल दिया करती है
सच्चा खत लिखती ही नहीं अपने अपनो को कभी
सहती है चुपचाप कभी कुछ कहती ही नहीं
मासूम था उसका बचपन औरों सा जैसा सबका ही होता है
शादी होते ही जो दुनिया उम्मीदों उमंगों से भरपूर थी वो पलट सी गई
बस सहा कभी कुछ कहा नहीं
बचपन से सुना था पति परमेश्वर है
ससुराल ही उसका होने वाला घर है
बस यही एक जिम्मेदारी निभाती रहीं
जो बीता उस पर किसी से उसने कही नहीं
उनकी और समाज की खता ही देखो कैसे किसी जान ले गई
ससुरालियों ने जिंदा जलाया है किसी को अभी अभी बेरहमी से
शायद हाँ काश नहीं
- CHANDAN SINGH NEGI)
Insta @Mr.O+ive (C .S .Negi)/ @mrcsnegi95
© चंदन नेगी Mr.O+IVE
#WritcoQuote
क्यों नहीं कुछ कहना नहीं सिखाया जाता
क्यों उन्हें सिर्फ झुकना सिखाया जाता है
क्यों उन्हें अधिकारों के लिए लड़ना नहीं सिखाया जाता
क्यों इस कदर पराया कर दिया जाता है
कि वो हा वो हमारी अपनी बेटियां हमारा पता मालूम होते हुए भी हमें खत नहीं लिख पाती
अपनी सच्चाई भाग्य की विडंबना, दुर्भाग्य नहीं लिख पाती
कभी दहेज़ के लिए ताने, मारपीट सहती रहती हैं
ससुराल में कांटो में नौकरी भी वेतन ही करती रहती हैं
कभी किसी से कुछ कहती नहीं न जाने क्या-क्या सहती हैं
जब जब अपने हाल पूछेंगे मैं खुश हूं कह कर टाल दिया करती हैं
गलती से रोना जो आ जाए मुंह में हाथ रख ताला सा डाल दिया करती है
सच्चा खत लिखती ही नहीं अपने अपनो को कभी
सहती है चुपचाप कभी कुछ कहती ही नहीं
मासूम था उसका बचपन औरों सा जैसा सबका ही होता है
शादी होते ही जो दुनिया उम्मीदों उमंगों से भरपूर थी वो पलट सी गई
बस सहा कभी कुछ कहा नहीं
बचपन से सुना था पति परमेश्वर है
ससुराल ही उसका होने वाला घर है
बस यही एक जिम्मेदारी निभाती रहीं
जो बीता उस पर किसी से उसने कही नहीं
उनकी और समाज की खता ही देखो कैसे किसी जान ले गई
ससुरालियों ने जिंदा जलाया है किसी को अभी अभी बेरहमी से
शायद हाँ काश नहीं
- CHANDAN SINGH NEGI)
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