...

12 views

पेशे से हूँ इंजीनियर
पेशे से हूँ इंजीनियर,
पर लिखने का शौक है
शहर की भागदौड़ में,
इंजीनियर बनकर व्यस्त हूँ मैं,
पर दिल में छुपा है कलाकार,
लिखने का शौक है मुझमें गहरा।
कभी-कभी सोचता हूँ,
कैसे ढूंढूं मैं वक्त,
इन शब्दों को पिरोने का,
इन भावों को उतारने का।
फिर मिलता है कोई खाली पल,
कलम उठाता हूँ मैं,
और कागज पर उतर आते हैं,
दिल के अल्फाज़ मेरे।
कभी लिखता हूँ मैं,
प्रेम की कहानी,
कभी लिखता हूँ मैं,
दर्द की दास्तान।
कभी लिखता हूँ मैं,
जिंदगी की उलझनें,
कभी लिखता हूँ मैं,
ख्वाहिशों की उड़ानें।
कोई दोस्त नहीं करता मेरी दोस्ती,
पर कलम से करता हूँ मैं,
दोस्ती गहरी और सच्ची।
शायद ये शब्द बन जाते हैं,
मेरे अकेलेपन के साथी,
जिनके साथ बाँटता हूँ मैं,
अपने मन की बातें।
न जाने कब ये शौक बन जाएगा,
मेरा पेशा कोई नया,
पर अभी के लिए तो बस,
इतना ही कहूँगा मैं,
पेशे से हूँ इंजीनियर,
पर लिखने का शौक है मुझमें गहरा।

© नि:शब्द