...

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आहिस्ता आहिस्ता
आहिस्ता आहिस्ता सब बदलते गए
वक़्त के आगे थोड़े मजबूर होते गए
कामयाबी की दौड़ हमने ऐसी लगाई
आहिस्ता आहिस्ता सब अपने पीछे छूटते गए
आज सब हैं ज़िन्दगी में जिसकी चाह रखी थी
आहिस्ता आहिस्ता फिर भी कुछ कमी सी हैं
जिन्होंने दिया हौसला मंज़िल को पाने का
जिन्होंने दिखाया रास्ता कुछ कर जाने का
वो ही उस रास्ते में आज गुमनाम से है
ना जाने किसकी तलाश है अब
ना जाने क्या अधूरा है अब
शायद जो रह गए पीछे उनकी तलाश सी हैं
लौटना मुमकिन नहीं , पाना जरूरी नहीं पर
आहिस्ता आहिस्ता आज भी उनकी याद
जहन में जिंदा सी है।।
आहिस्ता आहिस्ता आज भी उनकी बात
जहन में जिंदा सी है।।

@ashmita18