...

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मेरी काबिलियत
जो लगा कर गए हो आग तुम
वो बुझी नही लगी हुई हैं...!!!
तेरी याद ऐसी हैं बेवफा
तेरी याद में हसी मिट गई मगर तेरी याद दिल से मिटी नहीं...!!!
अपने मिटने का गम नहीं मुझे
मेरे रोने पर हस्ती है दुनिया मगर में रो रहा हूं
दुनिया के गम के लिए...!!!
मेरी काबिलियत हैं
इतनी हिम्मत है मुझ में ये कुछ नहीं इसे बड़े दर्द का सामना किया है मेने....!!!

परेशान है वो अब मेरी काबिलियत से
काश उसने मेरे तपन के निशा देखें होते

बहुत गिर के सीखा है संभालना मेने
काश तुमने मेरे चोट के निशा देखें होते

हेरा क्यो हों अब मेरे आशिया को देख कर
कास तुमने मेरा पुराना मका देखा होता

चले हों लोगो की बातो में सूरज पर उंगली उठाने
काश तुमने दीपक छुने के अंजाम देके होते

किस्मत की लकीरों से मंजिल नही मीला करती
काश तुमने मेरी काबिलियत के अंजाम देखें होते
© Dil Ki आwaaz...!!!