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मज़हब और ईमान
इस दुनिया मे लोगो की बन गया है जान,
इंसानियत से बड़ा है मज़हब और ईमान....

बी. आर . अंबेडकर को झेलनी पड़ी बहुत परेशानी,
जात ,पात ,मज़हब और ईमान ने चलाई अपनी मनमानी,
जात पात के नाम पे लोगो ने छोड़ दिया इंसानियत का हाथ,
दर्द , इंसानियत और पीड़ा का नही दिया किसीने साथ,
इस दुनिया मे लोगो की बन गया है जान,
इंसानियत से बड़ा है मज़हब और ईमान.....

मज़हब और ईमान के नाम पे लोगो ने किया दंगा,
लोगो ने शांति की जगह विद्रोह करके किया पंगा,
राजनेताओ ने अपनी राजनीति चलाई,
भूखे गरीब और लाचारों पे किसीको दया नही आई,
इस दुनिया मे लोगो की बन गया है जान,
इंसानियत से बड़ा है मज़हब और ईमान....

स्वयं के धर्म को श्रेष्ठ बताने में बन गए सब अधर्मी,
भगवत गीता में लिखा है सर्वश्रेष्ठ है कर्मी,
धर्म का डंका बजाते बजाते भूल गए कर्म की परिभाषा,
अच्छे कर्म और इंसानियत से टूट गई हर उम्मीद और आशा,
इस दुनिया मे लोगो की बन गया है जान,
इंसानियत से बड़ा है मज़हब और ईमान....

बचपन में बच्चो के लिए होते है सब धर्म और मज़हब एक,
भगवान के रूप है बच्चो में अनेक,
अच्छाई और अपनेपन की मिसाल है एक अबोध बालक,
मन मे जिनके ना हो छल और कपट उसी में बसता है दुनिया का चालक,
इस दुनिया मे लोगो की बन गया है जान,
इंसानियत से बड़ा है मज़हब और ईमान...

गलत नही है सारे मज़हब और धर्म,
गलत है भूल जाना इंसानियत और कर्म,
ज्ञान की ज्योति से अज्ञान को मिटाओ,
बचपना अपना दिल मे जगाओ,
सभी धर्मों को दिल से अपनाओ,
जिस दिन समझोगे धर्म की परिभाषा,
किसीके जीवन मे नही आएगी निराशा,
इस दुनिया में लोगो की बन गया है जान,
इंसानियत से बड़ा है मज़हब और ईमान...
#Respect every religion





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