शिकायतों-सा कुछ!
एक मख़सूस रिश्ते के टूटने का गम था
मन मायूस था और ज़हन में
मानों बारिश के बाद वाला सन्नाटा था
उस वक्त यकीन जैसा कुछ बिखरा पड़ा था
पछतावे के अलावा अश्कों में डूबा
आंधियों के बाद वाला समझाता शजर था
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मन मायूस था और ज़हन में
मानों बारिश के बाद वाला सन्नाटा था
उस वक्त यकीन जैसा कुछ बिखरा पड़ा था
पछतावे के अलावा अश्कों में डूबा
आंधियों के बाद वाला समझाता शजर था
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