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पिता - आस कहूं विश्वास कहूं ।क्यों न तुझको भग्वन कहूं।नतमस्तक चरणों मे हर बार दिखूं
पिता
पिता के भावों को परिभाषित करना बहुत ही मुश्किल है।पिता की नेत्रो मे अश्रु नहीं देखा है।परंतु पिता कमज़ोर होते हुए भी कभी जाहिर नहीं होने देता की वो कमज़ोर पड़ रहा है।साहस उसको उसके bachhon की आँखों मे देख कर मिलता है।पिता जब बाहर जाता है तो उसके मन मे चल रहा होता है की उसके बच्चे इसी उम्मीद मे राह...