...

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विपदाएं भी अच्छी हैं...
विपदाएं भी अच्छी हैं,
अपनो का पता बताती हैं
है कौन तुम्हारा कौन नही?
सच्चा चेहरा दिखलाती हैं

भारी विपदाएं आने पर भी,
जो संग तुम्हारे होते हैं
वे ही तो सच्चे हितैषी है,
वे ही तो अपने होते हैं

सुख के तो सब साथी है,
सुख में सब अपने होते हैं
पर दुख में छोड़ चले जाएं,
ऐसे भी कुछ जन होते हैं

जब विपदाओं के विकट घने
बादल सर पर छा जाते हैं
तब जो खड़े साथ में होते हैं,
वे ही अपने कहलाते हैं

यहां अपना पराया कोई नही,
ये बस कहने की बातें है
जब अपने छोड़ चले जाएं,
दुख और अधिक बड़ जाते हैं

पर आभास हमें ये तब होता है,
जब विपदाएं सर पर आती हैं
विपदाएं भी अच्छी हैं,
अपनो का पता बताती हैं

© Vineet