...

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स्मृति बनी "परिचय"
मेरा परिचय
तुम मुझसे
कराते रहते हो...
और मैं
तुम्हारी स्मृतियों में
ठहरी,
उन दिनों की
तस्वीरों को
अपने आज में
तलाशती रहती हूं...
जो अब
समय के साथ
गुम हो गई है कहीं।