तेरी कमी
वही रात, वही चाँद और वही नदी का किनारा,
जहाँ कभी हम मिला करते थे सुबह शाम ओ यारा।
रुक गयी रात, छुप गया चाँद और थम गयी नदी का धारा,
इक तेरी कमी के कारण साजन, बदला हर एक वो नज़ारा।
सब कुछ है...
जहाँ कभी हम मिला करते थे सुबह शाम ओ यारा।
रुक गयी रात, छुप गया चाँद और थम गयी नदी का धारा,
इक तेरी कमी के कारण साजन, बदला हर एक वो नज़ारा।
सब कुछ है...