🌺कतरे रूहानी!🌺
🌺🌺
इतना दौड़ा है क्यों,ऐ आदम बता,
क्यों हर रोज़ रफ़्ता रफ़्ता मरता है,
ये मेरा, वो मेरा और सब कुछ मेरा,
क्यों हासिल करने को रोज़ लडता है,
हैं गिनती के ही हासिल सांस तुझे,
क्यों तू इतना फ़िज़ूल खर्च करता है,
रहे दामन सफ़ेद और रूह बेदाग़,
ख़ुदा के सामने तभी फ़र्क पड़ता है,
जुगनूओं से याराना तू रख ऐ दोस्त,
सूरज तब जाके अश-अश करता है!
🌺🌺
रफ़्ता-रफ़्ता: धीरे-धीरे
अश-अश: प्रशंसा भाव
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
इतना दौड़ा है क्यों,ऐ आदम बता,
क्यों हर रोज़ रफ़्ता रफ़्ता मरता है,
ये मेरा, वो मेरा और सब कुछ मेरा,
क्यों हासिल करने को रोज़ लडता है,
हैं गिनती के ही हासिल सांस तुझे,
क्यों तू इतना फ़िज़ूल खर्च करता है,
रहे दामन सफ़ेद और रूह बेदाग़,
ख़ुदा के सामने तभी फ़र्क पड़ता है,
जुगनूओं से याराना तू रख ऐ दोस्त,
सूरज तब जाके अश-अश करता है!
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रफ़्ता-रफ़्ता: धीरे-धीरे
अश-अश: प्रशंसा भाव
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
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