...

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कुछ नहीं बहुत कुछ छिपा है
काल के ग्रास से किस तरह बचें फिल्हाल
कोरोना ने कर दिया बड़ा ही बदहाल

लाशों के ढेर अब देखने से मन डरता है
तांडव थमे मौत का अब दिल करता है
जन जन मे बड़ा बुरा डर समाया है
कोरोना जहर कुछ यू छाया है
क्या जाने ओमीक्रॉन कैसी माया है
विडंबना है या दुर्भाग्य का साया है
© लेखक/Lekhak