दरोगा
टूट के बिखरे हुए मोतियों के सामना
के वो ले गई मेरा जज्बातों का खजान
ना ही छोड़ गई जीने को कोई अरमान
काफ़िर की फितरत ऐसी के बदल जाए इंसान
इंसान मै खुदा ढूंडना , खुद को ही तो बनाना है
अंधेरे मै पड़े हुए बिता एक ज़माना है
खुलकर कह दोगे तो दोषी...
के वो ले गई मेरा जज्बातों का खजान
ना ही छोड़ गई जीने को कोई अरमान
काफ़िर की फितरत ऐसी के बदल जाए इंसान
इंसान मै खुदा ढूंडना , खुद को ही तो बनाना है
अंधेरे मै पड़े हुए बिता एक ज़माना है
खुलकर कह दोगे तो दोषी...