...

3 views

"इंतज़ार में आँखें अक़्सर"
इंतज़ार में आँखें अक़्सर,
बूढ़ी नज़र आती हैं..!
दिल में बसी है तस्वीर जो,
उससे नज़रें मिलाना चाहती हैं..!

अफ़सोस कभी रोष,
मोहब्बत का कभी कोष..!
मदहोशी में गर्मजोशी से,
गले लगाना चाहती हैं..!

दूर तक की सोच लेकर,
देकर दिल पे दस्तक इश्क़ की..!
लहरों की भाँति यूँ ही,
ज़िन्दगी सुहाती है..!

आस पास ख़्वाबों का आकाश,
जमीं पे जन्मों तक पाती है..!
यादों की बारात निकली ज़हन से,
गहनता की ग़ज़लें लिखती जाती हैं..!
© SHIVA KANT