...

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बंधुआ का परिचय पद एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।।
हां मैं एक वैशया हूं,
हां मैंने जिस्म बेचा तो है,
पर तुमने कुछ खरीदा नहीं,
तुमने खुद के दाम की लगाए है,
और बिक गाए हो एक चारपाई में।।
जहां मैंने खुद को तुम्हें सौंपा तो है।।
पर तुमने भी कुछ पाया नहीं,
तुम भी तो लुट चुके मेरे साथ।।
और कर चुके हो खुद को मेरे हवाले।।
हां मैं वैशया हूं और कल भी रहूंगी।
#एकबेनाम रंग
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