बेटी की बिदाई
हे निष्ठुर निर्मोही ईश्वर मेरे, तूने ये कैसी रीत बनाई,
अपनी थी मैं जिनके लिए, अब हो गई क्यों पराई।
बाबुल तेरे हरी भरी बगिया की, मैं इक कली हूँ,
बड़े ही लाड़ प्यार नाजों से, मैं तेरे गोद में पली हूँ।
मुझे चलना सिखाया, जब गिरी तो तूने ही संभाला,
क्या गुनाह था मेरा, जो तूने दिल से मुझे निकाला।
देकर हाथ इक अजनबी को, तूने कैसी प्रीत निभाई,
बाबुल तेरी प्यारी बिटिया, अब हो गई क्यों पराई।
माँ...