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मेरे अनमोल शब्द
ये मासूमियत तो बहाना है खुदगर्जी आंखों में दिखती है चिंता ना कर अब तो मोहोबत भी जस्बातो से खेल ती है सुबह को छीपती है रात को सजती है अरमान भी रात का मुआयना करने आते है पर आसू खुशी से नही असरुभीनी आंखों से बहते है कोरे कागज पे गिरते है लिखा धुंधला हो जाता है फिर भी कागज मिटे हुए शब्द बड़ी बखूबी सुनाता है तोलो तो हर बातो का तोल है पर मैने लिखा हर एक शब्द हमेशा अनमोल है
© Omi