मेरी कलम
ऐ मेरी कलम तू कभी ना रुकना
चाहे मेरी सांसें रुक जाए
चाहे मेरी धड़कन थम जाए
बस बेधड़क यूं हीं चलना
जैसे सूरज रौशनी देने से नहीं...
चाहे मेरी सांसें रुक जाए
चाहे मेरी धड़कन थम जाए
बस बेधड़क यूं हीं चलना
जैसे सूरज रौशनी देने से नहीं...