...

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Zindagi ke Chaar shabd
पढ़ी ये किताब तो समझ आया ज़िंदगी का नाम जिंदगी क्यों कहलाया ।
कितना मरोड़ा ओर कितना रुक पाया एक पहचान को इसने आईना दिखाया ।
दिखे चेहरे बहुत साफ जो मिट्टी से तो वो भी ना बच पाया ।
खाक ही है ये राख जिंदगी हर पल को निचोड़ जो जी पाया ।