मैं_रो_दूँगा
मैं बरसों से रोया नहीं हूँ,
मेरे इतना क़रीब ना आओ,
ये कांधा ज़रा हटाओ,
मैं रो दूँगा
तन्हाईओं की लत पड़ चुकी है,
लफ़्ज़ों से झगड़ा हुआ है
कोशिश भी ना करो, मुझे मत हँसाओ,
मैं रो दूँगा
अंधेरों से इश्क़ है मुझे और
तीरगी ने भी अपना लिया है
ये रौशनियाँ मुझे मत दिखाओ,
मैं रो दूँगा
मैं बिखर गया हूँ जैसे
शीशा बिखरता है टूटने के बाद
मुझे मत समेटो, ना ख़्वाब दिखाओ,
मैं रो दूँगा
यूँ तो संभाल ली हैं
उसकी सभी बातें ज़ेहन में फिर भी
देखो उसके ख़त ना जलाओ,
मैं रो दूँगा
सुनता नहीं हूँ अब मैं
किसी की भी सदायें
उसकी आवाज़ में ना बुलाओ,
मैं रो दूँगा
#मैं_रो_दूँगा
#pshakunquotes
© प्रशांत शकुन "कातिब"
मेरे इतना क़रीब ना आओ,
ये कांधा ज़रा हटाओ,
मैं रो दूँगा
तन्हाईओं की लत पड़ चुकी है,
लफ़्ज़ों से झगड़ा हुआ है
कोशिश भी ना करो, मुझे मत हँसाओ,
मैं रो दूँगा
अंधेरों से इश्क़ है मुझे और
तीरगी ने भी अपना लिया है
ये रौशनियाँ मुझे मत दिखाओ,
मैं रो दूँगा
मैं बिखर गया हूँ जैसे
शीशा बिखरता है टूटने के बाद
मुझे मत समेटो, ना ख़्वाब दिखाओ,
मैं रो दूँगा
यूँ तो संभाल ली हैं
उसकी सभी बातें ज़ेहन में फिर भी
देखो उसके ख़त ना जलाओ,
मैं रो दूँगा
सुनता नहीं हूँ अब मैं
किसी की भी सदायें
उसकी आवाज़ में ना बुलाओ,
मैं रो दूँगा
#मैं_रो_दूँगा
#pshakunquotes
© प्रशांत शकुन "कातिब"