...

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आ गया !!!!
खामोशी से टूटना-बिखरना आ गया,
मुझे अब खुद से ही सिमटना आ गया,
किसी को भला-बुरा नहीं कहता मैं,
मुझे अब खुद को ही बदलना आ गया,
प्यार-मोहब्बत के फलसफों से दूर रहना आ गया,
मुझे दोस्तों को देख हक़ीक़त में जीना आ गया,
दुनिया की भीड़ में तन्हाई को नजरंदाज करना आ गया,
मुझे किताबों से अपने ख्वाबों को सच करना आ गया,
ये गुलाबों का सफ़र तुम अपने पास ही रखो,
मुझे तो अब इन कांटों पर टहलना आ गया।
© Rajat