...

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बीत गया मेरा बचपन....!!

मेरे बचपन में , मेरे अलग ही अरमान थे ......,
कभी ख्वाहिश कुछ पाने की होती, तो कभी कुछ खो देती...,
कभी रोती किसी के लिए ,तो कभी- कभी दंतुरित मुस्कान- सी हसीं हस देती....,
पर अब वो अरमान नहीं आते, ना ख्वाइश होती कुछ पाने की...,
कब मैं बड़ी होऊंगी? और इस सोच में ही बीत गया मेरा बचपन....!!

वक्त सोचते- सोचते ही चला गया.....,
ये लम्हा पता नहीं कब बीत गया..,
अब वह खुशी नहीं होती , जो बचपन में हुआ करती थी ...,
अब वह चीज नहीं दिखती, जिसके लिए बचपन में रो- जाया करती थी ....,
अब वह सपने नहीं आते ,जो बचपन में देखा करती थी ...,
अब वह...