...

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बिछुड़
अब के जो बिछुड़े तो फिर कोई मुलाकात ना होगी
उम्र-ए-तमाम हिज्र ही हिज्र में फिर बसर होगी,,

आख़िर करे कोई कब तलक इंतजार ,,
क्या पता जाने कब सहर होगी,,

छोड़ दो हर बात को यही,,
सायद खत्म जीस्त यही इस राह पर होगी,,
© jitensoz