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नादान सी हूं मैं!
#ख्वाबोंकासफर


बात बहुत पुरानी है, मैं थोड़ी सी दीवानी थी।
ज़माने के फरेबों से, मैं थोड़ी सी अनजानी थी।।

अपने में मशगूल सी रहती, सपनों में खोयी सी रहती।
ऐसे ही दिन गुजरते जाते, मैं हर दिन थोड़ी बड़ी हो जाती।।

मां का सर पर हाथ सा रहता,मेरा हर दिन अच्छा गुजरता।
मन मेरा बच्चा सा रहता, बात -बात पर रोने लगता।।

मासूमियत मेरी हंसी में झलकती, शायद इसीलिए मुझे सब नासमझ कहते।
मुझको नहीं रहता किसी से मतलब,मैं रहती अपने में हरदम।।

किसी का दुःख मुझसे देखा नहीं जाता, इसलिए मुझे रोना बहुत आता।
विनती है इतनी सब रहे खुशहाल, जिससे महकें ये संसार।।
© Anu