...

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अच्छा लगता है...
तुझे पहले सा हँसता गाता देख, अच्छा लगता है।
तुझे खुल के ज़िंदगी जीता देख, अच्छा लगता है।
तू ज़िंदगी से बेजार उदास ना हुआ कर,
तुझे गुलाब सा खिला देख, अच्छा लगता है।
मुझसे हर वक़्त राब्ते में न रह,
जो तेरी रवानी है, उस रवानी से बह,
तुझे पल पल आगे बढ़ता देख, अच्छा लगता है।
तेरा अकेलापन मुझे भी रुलाता है,
तू जो हँसता है, तो मेरे मन को भी सुहाता है,
तुझे ज़िंदगी जीता देख, अच्छा लगता है।
याद है न तुझे, समय के किसी धारा में बहते हुए,
हम दोनों ने कभी वादा दिया था एक दूसरे से,
हम नित खिलेंगे ग़मों को, जुदाई को भुला कर,
तुझे निरंतर खिलता देख, अच्छा लगता है।
ग़मों का संगम नहीं, नदिया की तरह बहते रहना मोहब्बत है,
तुझे ग़मों को पराजित करता देख, अच्छा लगता है।
हम दोनों इस जीवन काल में सुंदर आत्मिक गुणों से सज जाएँ,
दोनों को प्रयास करता देख, अच्छा लगता है।
© Haniya kaur