...

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सच छुपाया जाता है।


आँख मूंदे न्याय की देवी,
जाने कितना देख पाती है,
कितने झूठ उजागर होते,
कितने सच छुपाती है।
न्याय के मंदिर के देखो,
स्वरूप यहां कितने हैं,
गिनो, निचली अदालतों से दोषी बन,
बाइज्जत बरी होने वाले कितने हैं।
सालों तक तारीखें दे दे कर सच को,
तार तार कर झुठलाया जाता है,
न्याय की ही ओट पर यहां,
अन्याय को छुपाया जाता है।
अफवाह लगती बात मुझे तो,
अदालत में न्याय दिलाया जाता है,
साल दर साल गरीब के सच को झूठ,
और अमीरों के झूठ को सच बनाया जाता है।
होता खेल जादू का देखो अदालत में,
झूठ को सच बनाया जाता है,
निचली अदालत की रेप पीड़िता को,
ऊंची अदालत में वैश्या बताया जाता है।
करके बातें न्याय की बड़ी बड़ी,
छोटी छोटी प्रक्रियाओं में फंसाते हैं,
वो न्याय करने वाले, साहब,
कहाँ गरीबों को न्याय दे पाते हैं।

✍️ शैल
© शैल