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बड़ी हो गई।
नहीं आती अपने कंबल में तूम
गोद से भी परे हो गई
बेटी अब बड़ी हो गई
पा पा,मामा,से तुतलापन तक
और अब तो,बोली खड़ी हो गई
मेरी बेटी बड़ी हो गई
चाहर दिवारी से परे
बढ़ गये दायरे
ममा ममा, करती थी तब
अब खुद में व्यस्त, बड़ी हो गई
मेरी बेटी ,बड़ी हो गई
अपने जरूरतों के लिए
मेरे पीछे होना तेरा
खिलखिला कर कभी
हंसना रोना तेरा
मासूम सी तकरार कहां गई
अल्लहरपन जिद्द खो गई कहीं
मासूमियत से ,परी हो गई
मेरी बेटी बड़ी हो गई।
© Gitanjali Kumari
गोद से भी परे हो गई
बेटी अब बड़ी हो गई
पा पा,मामा,से तुतलापन तक
और अब तो,बोली खड़ी हो गई
मेरी बेटी बड़ी हो गई
चाहर दिवारी से परे
बढ़ गये दायरे
ममा ममा, करती थी तब
अब खुद में व्यस्त, बड़ी हो गई
मेरी बेटी ,बड़ी हो गई
अपने जरूरतों के लिए
मेरे पीछे होना तेरा
खिलखिला कर कभी
हंसना रोना तेरा
मासूम सी तकरार कहां गई
अल्लहरपन जिद्द खो गई कहीं
मासूमियत से ,परी हो गई
मेरी बेटी बड़ी हो गई।
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