...

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ग़ज़ल
जुदा होना कोई मुश्किल नहीं था,
मगर तैयार मेरा दिल नहीं था।

कोई तो वज्ह भी इंकार की हो,
मेरा दिल क्या तेरे काबिल नहीं था,

न ऐसा...