14 views
बताओ ना तुम मेरे क्या लगते हो........
इस भीड़ में बस एक तुम ही नजर आते हो,
परोक्ष नहीं, पर आंखों में तुम ही नजर आते हो
कहीं छुपे हो जैसे सुनहरे ख्वाबों की तरह,
हर पल दिल में धड़कन में तुम ही नजर आते हो।
वादियों के हर पौधे पर, सूरज के साथ सजते हो,
चाहत की छाँव में, बस एक तुम ही नजर आते हो।
फूलों के मधुर गीत से, पंखुड़ियों को भाते हो,
भौरो की गुनगुनाहट में ,तुम ही नजर आते हो
वाति से चंदन के सुगंध से ,लबों को छू जाते हो,
फूलों की कोमलता में, तुम ही नजर आते हो।
कलम की रेखाओं से, अक्षरों को सजाते है,
कविता में हर पंक्ति में, तुम ही नजर आते है।
जीवन की रौनक में, मधुर सपनों को सजाते हो,
धैर्य के बादलों में, एक तुम ही नजर आते हो।
इस भीड़ में, तुम मील के पत्थर से नज़र आते हो
कही भी जाऊँ, जहाँ भी रहूँ, बस तुम ही नजर आते हो
बताओ ना तुम मेरे क्या लगते हो........
© ऋत्विजा
परोक्ष नहीं, पर आंखों में तुम ही नजर आते हो
कहीं छुपे हो जैसे सुनहरे ख्वाबों की तरह,
हर पल दिल में धड़कन में तुम ही नजर आते हो।
वादियों के हर पौधे पर, सूरज के साथ सजते हो,
चाहत की छाँव में, बस एक तुम ही नजर आते हो।
फूलों के मधुर गीत से, पंखुड़ियों को भाते हो,
भौरो की गुनगुनाहट में ,तुम ही नजर आते हो
वाति से चंदन के सुगंध से ,लबों को छू जाते हो,
फूलों की कोमलता में, तुम ही नजर आते हो।
कलम की रेखाओं से, अक्षरों को सजाते है,
कविता में हर पंक्ति में, तुम ही नजर आते है।
जीवन की रौनक में, मधुर सपनों को सजाते हो,
धैर्य के बादलों में, एक तुम ही नजर आते हो।
इस भीड़ में, तुम मील के पत्थर से नज़र आते हो
कही भी जाऊँ, जहाँ भी रहूँ, बस तुम ही नजर आते हो
बताओ ना तुम मेरे क्या लगते हो........
© ऋत्विजा
Related Stories
18 Likes
7
Comments
18 Likes
7
Comments