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जीवन
नया दिन बाहें पसार कर बुला रहा तुम को ,
पूरे दिन की खुशियां देने को आतुर सबको !
ये सूर्य ये पंछी अपने समय से उठते ,
कार्य करते शाम को अपने घर चले जाते !
रात के इंतज़ार में दिन ढल जायेगा ,
रात को इंतज़ार कब सूर्य आएगा !
जीवन चक्र सदा से चलता रहता ,
निरंतर अपनी लौ में बहता रहता !
निरंतर चलने की गति को जानो ,
ख़ुद ढलकर जीवन चक्र को मानो !
© गुलमोहर
पूरे दिन की खुशियां देने को आतुर सबको !
ये सूर्य ये पंछी अपने समय से उठते ,
कार्य करते शाम को अपने घर चले जाते !
रात के इंतज़ार में दिन ढल जायेगा ,
रात को इंतज़ार कब सूर्य आएगा !
जीवन चक्र सदा से चलता रहता ,
निरंतर अपनी लौ में बहता रहता !
निरंतर चलने की गति को जानो ,
ख़ुद ढलकर जीवन चक्र को मानो !
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