...

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जीवन
नया दिन बाहें पसार कर बुला रहा तुम को ,
पूरे दिन की खुशियां देने को आतुर सबको !

ये सूर्य ये पंछी अपने समय से उठते ,
कार्य करते शाम को अपने घर चले जाते !

रात के इंतज़ार में दिन ढल जायेगा ,
रात को इंतज़ार कब सूर्य आएगा !

जीवन चक्र सदा से चलता रहता ,
निरंतर अपनी लौ में बहता रहता !

निरंतर चलने की गति को जानो ,
ख़ुद ढलकर जीवन चक्र को मानो !
© गुलमोहर