...

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जिंदगी खुली किताब है
जिंदगी खुली किताब है
नित नई कहानी है
लिख सको तो लिख दो
नहीं तो बहता पानी है
जिंदगी खुली........

पढ़ सको तो वेदना पढ़ो
नहीं तो आंखों की पानी है
कदम कदम इंतहान लेती जिंदगी
सक्षम कितना कौन प्राणी है
जिंदगी खुली........

सब कुछ यहां पड़ा रहेगा
वहां चलता किसका मनमानी है
वास्तविक जीवन में तो
बहुत ज्यादा परेशानी है
जिंदगी खुली........

झूठ सच बोलने वालों का
लाल बट्टू मधुर वाणी है
धन संपदा है उसके पास
लेकिन कंगाल उसकी कर्म कहानी है
जिंदगी खुली........

सच्चाई है
सत्य को थोड़ी सी परेशानी है
झूठ बोलने वाले की
कुछ समय के लिए उत्तम कहानी है
जिंदगी खुली........

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar