...

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जीवन का सच
क्या बताएँ उन्हे हम, पता ही नहीं ,
वो जिंदगी भी नही गर व्यथा ही नहीं,
साथ संसार था, जिन महाशय के संग,
आज, उनके आंगन में कोई बचा ही नही||
कलम से - दुर्गेश दीक्षित
© द दुर्गेश दीक्षित