नदी किनारे ही कहीं प्रियतम का घर होगा।
नदी किनारे ही कहीं प्रियतम का घर होगा
मैं पथगामी के लिए वहीं कहीं बसर होगा।
प्रात: सूरज की लालिमा से धरती उजल अमर होगा
खुली हवा में जीवन का सुंदर सा अनुशरण होगा।
शाम के वन उपवन में एक चंचल सा स्वर होगा
नदी किनारे ही कहीं प्रियतम का घर होगा।
मध्यरात्रि में वहीं चांद से सजा गगन होगा
मैं मुसाफ़िर का सफ़र वहीं अंतिम चरण होगा।
#writco #writcopoem #Love&love #Love #avquote #Life
मैं पथगामी के लिए वहीं कहीं बसर होगा।
प्रात: सूरज की लालिमा से धरती उजल अमर होगा
खुली हवा में जीवन का सुंदर सा अनुशरण होगा।
शाम के वन उपवन में एक चंचल सा स्वर होगा
नदी किनारे ही कहीं प्रियतम का घर होगा।
मध्यरात्रि में वहीं चांद से सजा गगन होगा
मैं मुसाफ़िर का सफ़र वहीं अंतिम चरण होगा।
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