...

9 views

एकात्मय
वक्त भी बेवक्त होंगे जब
हमारे वक्त एक होंगे।
इंतज़ार थोरा और मुकम्मल हो
क्यूकि उसके बाद सुध-समेत
वापस जो लेने हैं।
आज भी याद है
हमारा और आपका वो वक्त
सच कहु ठहर सी गई है
और मिलने के बाद
ऐसा लगता है
एक लम्हे में सदियों का सफर
सिमटता सा जान पड़ता हैं।
कल्पना ही सही पर
मिलना अच्छा लगता है
पता है एक फ़ौजी को पाने से पहले
उनकी कल्पनाओ को
आलिंगन करना पड़ता हैं।
मिलने के बाद भी कल्पनाए ही
वो एक जरिया मिलन की होती है
जिसमें कोई सरहद नहीं होती
हम और आप बिना किसी बंधन के
एकात्मय हो सकते हैं।

#Army💘
© SunitaShaw