...

7 views

खुद में खुद की खोज
चलो खुद में खुद को ढूंढते है
औरो की बात करते करते थके नहीं क्या
आैरो को तलाश ते थके नहीं क्या
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
कभी देखे बहुत सपने थे वो पूरे हुए क्या
अरमान जो पाले थे वो छूट गए क्या
क्या पाया क्या खोया
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
उम्र ज्यादा हो रही है या कहूं कम हो रही है
पानी को मुट्ठी में पकड़ पाई क्या
हवा का वेग तूफ़ानी जवानी ने रोका क्या
कुछ पल रुकिए
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
भाव ढूंढते रहे या सच्चाई तलासते रहे
खुद को कभी समय दिया क्या
उमंग उत्साह ही जेवान है ये किसी को दिखाया क्या
बदल दो अब भी रास्ता
चलो खुद में खुद को तलासते है।
देखा है आजाद पंछियों को
कैदी हाथी जैसे महाबलियों को
कभी खुद के मन को भी आजाद किया क्या
दोस्ती और प्यार को खूसबू की तरह बांधा क्या
कल क्या हो यह मालूम किसको है
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।


जगराम गुर्जर
सहायक आचार्य समाजशास्त्र
राजकीय महािद्यालय आसींद।