...

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क्या हम मिल पायेंगे कभी?
सुनो
बहुत बार पुछा है ना मैने "क्या हम मिल पायेंगे कभी?"
और तुम हर बार कहते हो
बिल्कुल...
एक दिन जरूर तुम्हारा आश्वासन मेरा विश्वास बढ़ा देता है हर बार तुमसे बातें होते ही
सारे दिन की उदासी मुस्कुराहट में बदल जाती है कुछ क्षणों में ही मन में आता है ,तुम्हे छु कर देखूँ
जब विचलित हो हृदय तो तुम्हारे कांधे पर उड़ेल दूँ दुःख सारा,फिर याद आता है तुम्हे छुकर महसुस करना अपलक निहारना,
तुम्हारे साथ चलना
संभव कहाँ है अभी
तुम दूर हो मुझसे मीलों दूर
हाँ मगर प्रतीक्षा, विश्वास और धैर्य है
कि मिलोगे तुम परिणाम में
सदा के लिये...
© Nagvanshi's Diary Of Experience

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