...

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जुल्फे।
जब जब उड़ती है।
हवाओ संग जुल्फे तुम्हारी।
उफ्फ क्या ही
कमाल की लगती हो।

हवाओ में घुल मिल रहीं
तुम्हारे गेशुओ की खुश्बू
उफ्फ क्या ही महक
अपनी जुल्फो में तुम रखते हों।

गुलाबी इतरों सा
महक रहा हैं सारा समा।

फूलों की कलियों को छोड़
घुम रहे हैं तुम्हारे ही
इर्द गिर्द ये सारे भवरे।

क्या हैं ऐसी खूब तुम में
जो फूलों की कलिया भी
तुम्हे देख कर सरमाती हैं।

आइना भी तुमसे नज़रे चुराता है।
क्या ही कशिस
क्या ही जादू है तुम में।

मुझे किसी कयामत से
कम नही लगती हो।

क्या खुब रंग हैं।
क्या राधे सा रूप हैं तुम्हारा।
जो इतनी खूबसूरत सी
परी जैसी तुम दिखती हो।

© KRISHAN ☑️