...

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कोई तो मिलने आए...
कोई तो मिलने आए मुझसे शिकायत बगैर,
कोई तो कहे अजीज़, किसी हिदायत बगैर।

जान देने की न करे बातें, बस जान ले मुझे,
कोई तो पढ़े ये दिल-इबारत हिमायत बगैर।

करना है जो लेन-देन, तो एहसास का करे,
कोई करे ऐसी सौदेबाज़ी किफ़ायत बगैर।

फ़िक्र है जो दिल से तो तरस क्यों खाना है,
कोई तो बैठे यूँ ही मेरे क़रीब इनायत बगैर।

बिना जी-हुज़ूरी बात बनती ही कहाँ 'धुन',
कोई तो मर मिटे मुझपे भी रिआयत बगैर।
-संगीता साईं 'धुन'


हिमायत - पक्षपात, Partiality
इनायत - Favour, Kindness
रिआयत- Concession

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© संगीता साईं 'धुन'