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एक पल छूट गया
एक पल जो हाथ से छूट गया,
एक पल में एक चेहरा मूझसे रूठ गया।।
चलना मैंने वहां से शुरू किया,
जहा ये ज़माना बैठ गया।।
राह कब राहगीरों ने बदलनी है,
राह में जो भी मुझे मिला मै सब समेट गया।।
दिल में छिपाए है राज आज भी गहरे,
एक नहीं, दो है मेरे चेहरे।
एक चेहरे ने पाया है अब सब,
और एक चेहरे का एक पल पीछे छूट गया।।
© abhay
एक पल में एक चेहरा मूझसे रूठ गया।।
चलना मैंने वहां से शुरू किया,
जहा ये ज़माना बैठ गया।।
राह कब राहगीरों ने बदलनी है,
राह में जो भी मुझे मिला मै सब समेट गया।।
दिल में छिपाए है राज आज भी गहरे,
एक नहीं, दो है मेरे चेहरे।
एक चेहरे ने पाया है अब सब,
और एक चेहरे का एक पल पीछे छूट गया।।
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