आया जब दिनकर धार पर।
आरब्ध क्रांति पहाड़ों के पीछे,
विद्रोही बना जो दबा था नीचे,
नेत्र ज्योति अपनी ओर खींचे,
नयी नयी ऊर्जा के संचार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
देख रश्मिदल की उग्र क्रान्ति,
लगी उड़ने तम आनन कांति,
छाने लगी बस चहुँओर शांति,
उमंग आशाओं के आधार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
तमस् के सैंकड़ों क्षण पश्चात,
अन्तिम पहर में गतिमान रात,
खोलने लगा नयन नव प्रभात,
तम गमन को आतुर द्वार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
अंशुमान से संबंध जोड़ कर,
नक्षत्र, इंदु से नाता तोड़ कर,
जा रहा है तम मुख मोड़ कर,
निशा-दिवस के क्रमवार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
शनैः शनैः छँट रही कालिमा,
देख अरुणोदय की लालिमा,
सम्मोहित करे व्योम नीलिमा,
पसर रहा उजाला संसार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
छूने लगी तुहिनकणों को धूप,
निखरने लगा है पर्णों का रूप,
हो गया क्या से क्या स्वरूप,
प्रकाश की जय अंधकार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
जाग रहा इला का कण-कण,
दूम विकसित करने लगे पर्ण,...
विद्रोही बना जो दबा था नीचे,
नेत्र ज्योति अपनी ओर खींचे,
नयी नयी ऊर्जा के संचार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
देख रश्मिदल की उग्र क्रान्ति,
लगी उड़ने तम आनन कांति,
छाने लगी बस चहुँओर शांति,
उमंग आशाओं के आधार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
तमस् के सैंकड़ों क्षण पश्चात,
अन्तिम पहर में गतिमान रात,
खोलने लगा नयन नव प्रभात,
तम गमन को आतुर द्वार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
अंशुमान से संबंध जोड़ कर,
नक्षत्र, इंदु से नाता तोड़ कर,
जा रहा है तम मुख मोड़ कर,
निशा-दिवस के क्रमवार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
शनैः शनैः छँट रही कालिमा,
देख अरुणोदय की लालिमा,
सम्मोहित करे व्योम नीलिमा,
पसर रहा उजाला संसार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
छूने लगी तुहिनकणों को धूप,
निखरने लगा है पर्णों का रूप,
हो गया क्या से क्या स्वरूप,
प्रकाश की जय अंधकार पर,
आया जब दिनकर धार पर।
जाग रहा इला का कण-कण,
दूम विकसित करने लगे पर्ण,...