...

18 views

डर है मुझको
डर है मुझको, मैं खो दूंगी खुदको,
इसलिए दुनिया की नज़रों से बच रही हूं।
हवाओं से भी अब सीहरने लगी हूं,
किसी की आहटें सुन, चीखने लगी हूं,
हसरतों से अपनी, खुद लड़ रही हूं,
हर बात पर अब भड़क रही हूं,
मंजिलों से भी अपनी भटक रही हूं,
नहीं जानती मैं ऐसा क्यों कर रही हूं।
सूरज की लालिमा से जलने लगी हूं,
मोम सी पिघल, मिट्टी में मिलने लगी हूं,
बदन टूट कर, जमीन पर बिखरा पड़ा है,
समेटने को भी उसको, हाथ पीछे करने लगी हूं,
कदम आगे बढ़ाए...