...

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जश्न और वीरान
नशा- ए- जश्न के बाद
तन्हाई बर्दाश्त नही होती

शोर से सने कान
और कंपित रुवाँ - रुवाँ

सातवे आसमान में
जैसे हो जोश मदहोश नुमा

धड़कने दौड़ती हो
अपनी रेस में

न फिक्र हो न परवाह हो
जाहिल हो मन मस्ती में

झूमे बदन गीत में
सने धूल से

आनन्द इतना की
मापने की फुर्सत नही

बिता सब, अब बदन कराहे
वीरान यहाँ कोई नही

© Karan